( ५ जून को पर्यावरण दिवस था ,साल भर कोई न कोई दिवस आता रहता है ..पर क्या औचित्य है इन दिवसों का ? क्या हम उनके संदेश को साल भर या जीवन भर अपने जीवन में निहित करने का प्रयास करते हैं ? यही प्रश्न इस रचना से उठाने की कोशिश की है ...)
आओ फिर एक "दिवस" मनाएं
पेडों को धुएँ से घोंट जायें
गाड़ी के हार्न से हाथ न हटायें
दिन भर एसी चलायें
कचरा बाहर फेंकते हुए तनिक न सकुचाएं
पान की पीक से दीवारें सड़कें रंग जायें
पर आज पर्यावरण दिवस मनाएं।
चौबीस घंटे ही की तो बात है
चलो कुछ पौध भेड़चाल में लगायें
हरी एक कमीज़ नारे के साथ पहन खड़े हो जायें
आओ फिर एक "दिवस" मनाएं
मात पिता को "ओल्ड फैशंड" बताएं
"जनरेशन गैप" कह उनके संस्कारों की खिल्ली उडाएं
"नाईट आउट" की मस्ती में माँ की चिंता भूल जायें
फिर उन्हें "इमोशनल" न होने की सलाह दे जायें
हर मांग "माँ बाप का फ़र्ज़ है" कह मनवायें
आख़िर में किसी वृधाश्रम में छोड़ आयें
पर आज मदर्स डे फादर्स डे मनाएं
चौबीस घंटे ही की तो बात है
उन्ही की जोड़ी कमाई से "आर्चीज़" से एक कार्ड ले आयें
भावनाओं के बाजारवाद में अपना योगदान दे आयें
आओ फिर एक "दिवस" मनाएं
देश की कमियाँ निकालने में कुछ टाइमपास कर आयें
चुनाव के दिन छुट्टी मनाएं
टैक्स भरने से ख़ुद को बचाएँ
विदेश जायें ,भले ही वहां रंग भेद के शिकार हो जायें
पर आज स्वतंत्रता दिवस या गणतंत्र दिवस मनाएं
चौबीस घंटे ही की तो बात है
टीवी पर एक दिन आने वाली देशप्रेम की फिल्मो से कुछ देशभक्ति उधार ले आयें
भले ही सचे देशभक्तों को भूल जायें
आओ फिर एक "दिवस" मनाएं
अंग्रेज़ी में बात करना "कूल" बताएं
हिन्दी देहाती होने की पहचान बताएं
अपनी माँ त्यज कर दूसरे की माँ को सर आंखों बिठाएं
महादेवी वर्मा ,प्रेम चंद हैं कौन ?
इन प्रश्नों से चौंक जायें
पर आज हिन्दी दिवस मनाएं
चौबीस घंटे ही की तो बात है
हिन्दी हिन्दी चिल्लाएं
हिन्दी महत्ता पर कुछ वाद विवाद प्रतियोगिता कराएं
आओ फिर एक "दिवस" मनाएं
औरतों को एक चीज़ मान जायें
अस्तित्व का मजाक उडाएं
काबलियत पर उनकी प्रश्नचिन्ह लगायें
औरत हो कर भी औरत को प्रताडित कर जायें
पैदा होने से पहले लड़किओं को मार आयें
पर आज महिला दिवस मनाएं
चौबीस घंटे ही की तो बात है
एक मोर्चा निकाल आयें
महिला आरक्षण बिल का वादा दोहराएं
आओ फिर एक "दिवस" मनाएं
आओ एक दिन की जागरूकता दिखाएं
साल भर चाहे वही गलतियां दोहराएं
उस दिवस पर किए वादों को भूल जायें
सामान्य ज्ञान परीक्षा हो तो बस इन तारीखों को याद कर के जायें
सब "फैशन" है ,"सीरियसली" कौन मानता है
चलो हम भी थोड़े "फैशनेबल" हो जायें
आओ फिर एक "दिवस" मनाएं
अच्छा लिखा है आपने । प्रभावशाली और मंथन के लिए प्रेरित करने वाले विचारों को शैल्पिक कुशलता के साथ सीधी सरल भाषा में प्रस्तुत किया है जो सहज ही प्रभावित करते हैं ।
ReplyDeleteमैने अपने ब्लाग पर एक लेख लिखा है-फेल हो जाने पर खत्म नहीं हो जाती जिंदगी-समय हो तो पढें और कमेंट भी दें-
http://www.ashokvichar.blogspot.com
Toooooooo good.
ReplyDeleteYou have covered lots of grounds in big leaps.
Aap to bahut sundar likhaten hain.
Aanand aa gayaa... aur dil men tees bhi uthi.. aapke vyang se!!!
Bahut badhiyaa!
~Jayant
Priyanka Ji,
ReplyDeleteThe simplest way is to do following:
1) Blogvani.com ke neeche diye page se ek "HTML" code le leejiyegaa.
http://blogvani.com/logo.aspx
- Jab aap upar diye address par jaayenge to wahaan par aapko yeh dikhegaa:
आपके ब्लाग का URL
- Fir aapane Blog kaa address likhkar (puraa address jaise maine likhaa hai)... "Sabmit" par click karen.
- Tab aapko ek box men HTML Code milega:
आपका ब्लागवाणी लिंक तैयार है:
- Jo andar likha hai use copy karlen, fir apane blog par jaayen.
- Wahaan par "Customize" men jaakar, "Layout" par jaayen.
- Usmen, "Page Element" par jaayen. Wahaan "Add a Gadget" dikhegaa. Us par click karen.
- Ek nayee window khulegi, wahaan par "HTML/Java Script" waalaa ek link hogaa. Uspar click karen.
- Jo nayaa page khulegaa, usmen 2 text boxes honge. Upar was title ke liye aur neeche waalaa HTML Code ke liye hai. Aapne jo code copy kiyaa thaa, use neeche waale text box men paste kar den. Title me chaahe to "Blogvani" likh den.
- Fir "Save" button press karke, use save karen.
- Waapas "Layout" page me jaakar "Save" press karen. KAAM KHATAM.
- Naye page men apane blog ko dekhen, pakkaa karen ki sab theek hai.
Hope this helps. If not, then please let me know I can work with you.
Regards,
~Jayant
बहुत बढ़िया..बस दिवस मना कर कर्तव्यों की इतिश्री.
ReplyDeleteatyant paina vyangya
ReplyDeleteअरे वाकई ये तो बेहतरीन रचना है .आशा है इससे जाहिलों और काहिलों को कुछ सीख मिलेगी . जन जागरण तथा कर्तव्य बोध के लिए इसी तरह की उम्दा रचनाओं की जरूरत है क्योंकि साहित्य भी तो समाज का दर्पण ही हुआ करता है न .
ReplyDeleteपौधे लगाना तो बहुत मुश्किल है
ReplyDeleteहरे पेड़ों के पोस्टर चिपकाएं
उन पर फूल-धूप दिखाएं
चलो पर्यावरण की बरसी मनाएं।
साल भर मां बाप का उल्लू बनाएं
उनसे फोन रिचार्ज कराके गर्लफ्रेंड ब्वायफ्रेंड से बतियाएं
बाप के पैसे से दोस्तों को पिज्जा खिलाएं
आज मदर्स डे है, साल भर टाइम नहीं मिला
चलो कार्ड और कोक लो मां को एक बार फिर उल्लू बना आएं
26 जनवरी 15 अगस्त नेशनल हॉलीडे है
चलो इंडिया गेट घूम आएं, पीवीआर में पिक्चर टीप आएं
शहीद कहां हुए थे वो, ड्यूटी निभा रहे थे
चिता जलने से पहले सलामी तो दी थी
अब क्या हर रोज आंसू बहाएं ?
अंग्रेजी से दुनिया चलती है
किस्मत करवट बदलती है
हिंदी तो व्यक्तित्व को जंग की तरह खा जाती है
हिंदी को कब का दफन कर दिया
आज श्रद्धांजलि दे आएं
हिंदी दिवस मनाएं
ऑफिस में नया पटाखा आया है
चलो आंख सेक आएं
ताक में रहो, कब वो जरा झुके
तो उसके बदन में नजरें गड़ाएं
फुसलाने से न माने तो काम में खामी ढूंढ लाएं
फिर रौब दाब बनाएं
उसे बाइक या कार से ड्रॉप कर आएं
मीठी चॉकलेट है चलो खाने की जुगत लड़ाएं
काहे का गणतंत्र, स्वतंत्रता, महिला, मजदूर, बाल, बालिका, स्वास्थ्य, पर्यावरण दिवस
सब ढपोरशंख है, रिवायत है, हम भी शंख बजा आएं
सुधरेंगे तो कभी नहीं, चलो रिवायत निभा आएं
फिर लौटकर उसी रुटीन को चलाएं
भ्रष्टाचार में अपनी शैतानियत का तड़का लगाएं
चलो कोई दिवस मनाएं
नकल है आपकी,,,कविता लिखता नहीं मैं, क्योंकि ये विधा नहीं आती।
आप सभी का बहुत धन्यवाद..खुश हूँ की आप को लिखा हुआ पसंद आया...
ReplyDeleteमधुकर जी बहुत खूब ..अब मैं यह सोच रही हूँ की आप कविता क्यूँ नही करते ?
जो आपने लिखा उस से व्यंग्य और भी सटीक हो गया खासकर जो महिलाओं के बारे में हैं ..मेरी बहन भी kuch ऐसा ही बताती है ..बहुत अच्छा लिखा आपने
बहुत बढ़िया व्यंगात्मक कविता है आपकी । अच्छी लगी । सच में दिवस तो सिर्फ़ प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए ही स्मरण करने योग्य रह गए हैं । अफ़सोस !
ReplyDeletePriyanka Ji,
ReplyDeleteYou are already on Blogvani.
Check the link below.
http://www.blogvani.com/BloggerDetail.aspx?mode=blog&blogid=13654
If you can not click on it, then copy it and paste on "address bar" of Internet Explorer or Firefox.
~Jayant Chaudhary
Priyanka Ji,
ReplyDeleteWill you check your email address that is shown in your profile? I will send you an email.
Thanks,
Jayant